Navratri 9 Devi Names: नवरात्रि, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार, माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का प्रतीक है। यह पर्व नौ रातों तक चलता है, जिसमें प्रत्येक दिन एक अलग देवी की आराधना की जाती है। ये नौ रूप शक्ति, साहस, और करुणा का प्रतीक हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक बल प्रदान करते हैं। इस लेख में हम नवरात्रि की नौ देवियों के नाम, उनकी कहानियाँ, महत्व, और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Navratri 9 Devi Names: नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’। यह पर्व भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, विशेष रूप से शारदीय नवरात्रि (सितंबर-
अक्टूबर) और चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) में। इस दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की
जीत का प्रतीक है। प्रत्येक देवी का अपना विशिष्ट महत्व, शक्ति, और कथा है, जो भक्तों को जीवन में सकारात्मकता और
शक्ति प्रदान करती है।
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नवरात्रि की नौ देवियों के नाम और उनका महत्व
1. माँ शैलपुत्री

नाम का अर्थ: शैलपुत्री का अर्थ है ‘पहाड़ों की पुत्री’।
प्रथम दिन: नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
कथा: माँ शैलपुत्री हिमालय की पुत्री पार्वती का रूप हैं। इनका जन्म हिमालय के घर हुआ था, इसलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
प्रतीक: ये शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक हैं।
पूजा विधि: सफेद वस्त्र पहनकर, सफेद फूलों और चंदन से माँ की पूजा करें। भोग में गाय का घी चढ़ाएँ।
मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।
2. माँ ब्रह्मचारिणी

नाम का अर्थ: तप और साधना की प्रतीक।
दूसरा दिन: नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है।
कथा: माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था।
प्रतीक: ये साधना, संयम, और ज्ञान की प्रतीक हैं।
पूजा विधि: हरे रंग के वस्त्र पहनें और मिश्री का भोग लगाएँ।
मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।
3. माँ चंद्रघंटा

नाम का अर्थ: चंद्रमा के समान शांत और घंटे की ध्वनि वाली।
तीसरा दिन: तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
कथा: इनके मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
प्रतीक: ये शांति और साहस का प्रतीक हैं।
पूजा विधि: पीले वस्त्र पहनें और दूध से बने पकवानों का भोग लगाएँ।
मंत्र: ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।
4. माँ कूष्मांडा

नाम का अर्थ: पूरे ब्रह्मांड को रचने वाली।
चौथा दिन: नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा होती है।
कथा: इन्होंने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की।
प्रतीक: सृजन और ऊर्जा की प्रतीक।
पूजा विधि: नारंगी वस्त्र पहनें और मालपुआ का भोग लगाएँ।
मंत्र: ॐ देवी कूष्मांडायै नमः।
5. माँ स्कंदमाता

नाम का अर्थ: भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता।
पाँचवाँ दिन: पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
कथा: ये भगवान कार्तिकेय की माता हैं और भक्तों को संतान सुख प्रदान करती हैं।
प्रतीक: ममता और करुणा की प्रतीक।
पूजा विधि: सफेद या हल्के नीले वस्त्र पहनें और केले का भोग लगाएँ।
मंत्र: ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।
6. माँ कात्यायनी

नाम का अर्थ: कात्यायन ऋषि की पुत्री।
छठा दिन: छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है।
कथा: महिषासुर का वध करने के लिए माँ कात्यायनी ने अवतार लिया था।
प्रतीक: साहस और विजय की प्रतीक।
पूजा विधि: लाल वस्त्र पहनें और शहद का भोग लगाएँ।
मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।
7. माँ कालरात्रि

नाम का अर्थ: रात्रि की तरह अंधकार नाशक।
सातवाँ दिन: सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है।
कथा: ये भय और बुराई को नष्ट करने वाली हैं।
प्रतीक: रक्षा और नकारात्मकता का नाश।
पूजा विधि: नीले वस्त्र पहनें और गुड़ का भोग लगाएँ।
मंत्र: ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।
8. माँ महागौरी

नाम का अर्थ: अत्यंत श्वेत और शांत स्वरूप वाली।
आठवाँ दिन: अष्टमी के दिन माँ महागौरी की पूजा होती है।
कथा: इन्होंने कठोर तप कर गौर वर्ण प्राप्त किया।
प्रतीक: शुद्धता और पवित्रता की प्रतीक।
पूजा विधि: गुलाबी वस्त्र पहनें और नारियल का भोग लगाएँ।
मंत्र: ॐ देवी महागौर्यै नमः।
9. माँ सिद्धिदात्री

नाम का अर्थ: सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली।
नवाँ दिन: नवरात्रि के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
कथा: ये भक्तों को सभी सिद्धियाँ और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं।
प्रतीक: आध्यात्मिक शक्ति और सिद्धि।
पूजा विधि: बैंगनी वस्त्र पहनें और तिल के लड्डू का भोग लगाएँ।
मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्री नमः।
नवरात्रि पूजा की सामान्य विधि
संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लें और माँ दुर्गा का ध्यान करें।
कलश स्थापना: पहले दिन कलश स्थापना करें और माँ की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
भोग और आरती: प्रत्येक दिन संबंधित देवी को भोग लगाएँ और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
व्रत: नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन करें और मन को शुद्ध रखें।
कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करें।
नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
#नवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर है।
प्रत्येक देवी की पूजा हमें विभिन्न गुणों जैसे साहस, करुणा, और ज्ञान को अपनाने की प्रेरणा देती है।
यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में संतुलन और शक्ति दोनों आवश्यक हैं।
निष्कर्ष: Navratri 9 Devi Names
नवरात्रि की नौ देवियाँ न केवल शक्ति की प्रतीक हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। माँ शैलपुत्री
से लेकर माँ सिद्धिदात्री तक, प्रत्येक रूप हमें एक नई प्रेरणा देता है। इस नवरात्रि, इन नौ देवियों की पूजा करें,
उनके गुणों को अपने जीवन में अपनाएँ, और एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत करें। यह पर्व हमें बुराई पर
अच्छाई की जीत का संदेश देता है और हमें आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs): Navratri 9 Devi Names
1. नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा क्यों की जाती है?
नौ देवियाँ माँ दुर्गा के विभिन्न रूप हैं, जो शक्ति, साहस, और करुणा का प्रतीक हैं। इनकी पूजा जीवन में
संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती है।
2. नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य क्या है?
नवरात्रि का उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाना और आत्म-शुद्धि के साथ माँ दुर्गा की
कृपा प्राप्त करना है।
3. क्या नवरात्रि में व्रत रखना अनिवार्य है?
नहीं, व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह मन और शरीर को शुद्ध करने का एक तरीका है। भक्त
अपनी श्रद्धा के अनुसा व्रत रख सकते हैं।
4. कन्या पूजन का क्या महत्व है?
कन्या पूजन में नौ कन्याओं को माँ दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। यह शक्ति और
पवित्रता का सम्मान करने का प्रतीक है।
5. नवरात्रि में कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?
प्रत्येक दिन अलग-अलग देवी के लिए अलग रंग के वस्त्र पहने जाते हैं, जैसे शैलपुत्री के लिए सफेद,
ब्रह्मचारिणी के लिए हरा, आदि।